Wednesday 26 June 2013

केक्ट्स का पोधा

















हाँ में  वो केक्ट्स का पोधा हूँ जो लोगो को दूर से देखने में अच्छा लगता हैं 

मेरे उपर कांटे लगे हें  जो भी हाथ लगता हें  उसे दर्द दे दे ता हूँ पर फिर भी क्यों लोग अपनी बगिया में  मुझे रखते हें 
दर्द सहते हें  पर मूझे  पानी देते हें  गुड़ाई करते खाद देते हैं अगर उन्हें दर्द बर्दाश्त नही तो मुझे उखाड़ फेको क्यों दर्द सहते हैं और क्यों उसे भी जिंदा रखने की कोशिस करते हैं वो तो पहले ही मर चूका हैं क्योकि उसे कोई  प्यार  विश्वास नही करता उसे दर्द हैं ये तुम्हें पता नही वह रोता हैं सिसकता हैं उसकी आंहे तुम्हे दिखाई नही देती तुम्हे सिर्फ कांटे दिखाए देते हैं हाँ में केक्ट्स का पोधा हूँ 

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