Friday 8 February 2013

समझोता






समझोता -

कहते हैं व्यक्ति को समय से समझोता कर लेना चाहिए क्या हमे सचमुच समझोता कर लेना चाहिए ? शायद सभी की अपनी अलग अलग सोच होती है।
समय से समझोता करना भी एक स्थिति पर निर्भर करता हैं की किन परिस्थितियों मे आदमी समय से समझोता करता हैं किन पर नही -
1. व्यक्ति अपना मान सम्मान स्वाभिमान ताक पर रखकर समय से समझोता कर ले शायद ठीक नही होगा।
2. व्यक्ति अपना चरित्र ताक पर रखकर समझोता कर ले क्या ठीक होगा ?
3. व्यक्ति को कोई बार बार क्रूरता दिखाए अपमानित करे  ठेस पहुचाये और थोड़ी देर बाद हस कर आप से कहे चलो ठीक झगड़ा खत्म क्या व्यक्ति को इन परिस्थितियों से समझोता करना चाहिए अगर आप समझोता करते है तो एक शर्त पर की सामने वाला व्यक्ति ये गलती दोबारा नही दोहराए  अगर वह ये गलती दोहराता रहता और आप समझोता करते हैं तो आप का जीवन इस समझोते के आधार पर सामने वाला नारकीय बना देगा 
4. व्यक्ति को समय से समझोता वही करना चाहिए जहा व्यक्ति का विकास नही रुके व्यक्ति के जीवन मैं उर्जा संचार बना रहें व्यक्ति अपने जीवन को जी सके नाकि घुट घुट कर जिए जहा पर आप समझोता कर रहें हैं क्या वहा पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास हो न की अडचने पैदा हो शायद इसलिए कहते हैं समझोते पर जिन्दगी नही चलती खिचती हैं .

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