Monday 24 September 2012

सहनशीलता

सहनशीलता 

सहनशीलता हर  व्यक्ति मे नही होती  वह  तो  सिर्फ देव महान आत्माओ में ही होती हैं जिस तरह भगवान शिव् ने अमृत  त्याग कर विष ही पिया यहा तक की उनके चारो तरफ सर्प बिच्छू कई तरह के जहरीले जीव मोजूद रहें उनके चारो तरफ भूत पिशाच उन्हे घेरे रहते पर शंकर भगवान तप कर के उनका ही कल्याण करते यह एक नीलकंठ ही कर सकता हे जो दूसरो के हित के लिए  विष पी जाये वह शिव् हे।
इसी तरह प्रक्रति से हमे बहूत कुछ सीखने को मिलता हैं। आखिर प्रक्रति हमेशा हमारा पालन पोषण करती हवा पानी नदिया झरने फल फूल अन्न पहाड छाया वृक्ष हरियाली हजारो जीवो का पालन पोषण करती चिडियों का चहचहाना हमें अच्छा लगता है  हरियाली हमारे तनाव् को दूर करती हैं हमारी आँखों को सकून मिलता हैं जब  भी तनाव होता हे तो हम नदि सागर या भगवान के पास बेठ जाते हे पर हम  प्रक्रति को क्या देते हैं ?
हम  प्रक्रति का विनाश करने मे कोई कसर नही छोडते प्रदूषण से प्रकृति का विनाश करते है  प्रक्रति अन्त तक देने का ही काम करती हे आखिर हम मानव् हे,
यह जीवन तो सिर्फ एक बार मिलता हैं हमें कठिनाईयो से घबराना नही चाहिये और जो नही घबराते वह ही शिव भक्त कहलाते है वही  प्रक्रति प्रेमी कहलाते हैं शिव व्  प्रक्रति  दोनो देने का काम करते हैं इसलिये मानव् को इन्ही  का अनुशरण करना चाहिये .
हमे अपने से प्यार करना चाहिये शिव के सहारे माँ के द्वारे  अपने दर्द को त्याग देना चाहिये "

Saturday 22 September 2012

 ढकोसला  या बोझ कहा श्रध्दा ?

हरतालिका तीज का व्रत मान्यता अनुसार सती गौरी शिव जी से विवाह करना चाहती हैं पर उनके पिता राजा दक्ष सती का विवाह शिव जी से नही करवाना चाहते चाहते तब सती गौरी भूख हडताल कर शिव जी से विवाह करने हेतु तपश्या करने वन मैं जाकर शिवजी का जाप करती अन्नजल फल निंद्रा सबकुछ त्याग देना तब जाकर घोर तपश्या के  बाद शिवजी सती गौरा को प्राप्त हुए तभी से ये व्रत  स्त्रिया अपने पति की लम्बी आयु व् सात जन्मो का साथ पाने के लिए इस इस व्रत को करती है।
पर हमने देखा हैं की कई स्त्रिया रात दिन झगड़ा करती रहती है परिवार में अशांत माहौल रखती हैं पति का जीना दुर्भर करती हैं पर फिर यह व्रत करती हैं इसी तरह कई महिलाये पति से परेशान है वह अपने पति के लिए व्रत करती हैं पर पति अपनी जिम्मेदारी पर खरे नही उतरते व् पत्नी को मानशिक  शारीरिक व् आर्थिक रूप से परेशान करते हैं क्या इस तरह व्रत करके हम एक दुसरे को तकलीफ दे या फिर संकल्प ले की इस तरह के व्रत करने के बाद हम खुशिया न दे सके तो कम से कम तकलीफ तो न दे मनुष्य का जीवन एक बार मिलता हैं उसे अच्छी तरह जीना चाहिए न की रिश्तो के भोझ को ढ़ोते ढ़ोते दम घुट जाए  जहाँ एक जन्म निभाना मुश्किल हैं वहा सात जन्म केसे निभा पाएंगे ? इसी जन्म को सार्थक करे " हम शिव पार्वती की पूजा करते हैं पर अनुसरण भी करे