Friday 9 October 2015

नवरात्रि माँ दुर्गा का पर्व माँ का पर्व

नवरात्रि माँ दुर्गा का पर्व माँ का पर्व
नवरात्रि आने से पहले माँ के आने का सुखद एहसास  माँ के बिना माँ के आशीर्वाद के बिना हर व्यक्ति अधूरा है एक नवरात्रि वह आती है जब माँ अपने साथ भगवान राम को नौ दिन की पूजा के बाद दशहरा के पश्चात अयोध्या वापस आते है

माँ का प्यार अभिनन्दन पूजा व त्याग सब भगवान सीताराम लक्ष्मण सहित पाकर हम खुशियाँ मनाते हैं
दूसरी नवरात्रि चैञ माह मे आती है जिसमें नवरात्रि के बाद रामनवमी  को भगवान राम का जन्म होता है माँ जाते जाते खुशियों से भर जाती है

एक नवरात्रि पौष मास में आती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते है तब नौ दिन माँ की पूजा अर्चना कर महनन्द नवमी ,  श्री हरि जयंती मनायी जाती है कहने का मतलब माँ हमारे सामने नौ दिन रहने के बाद विदा होते वक्त बच्चों का साथ नहीं छोड़ती वब आशीर्वाद स्वरूप प्रसन्नता , उत्साह ,उर्जा व सकारात्मक सोच हमे देकर
जाती है के बडे प्यार से हम खुशियाँ मनाये इतने व्यस्त हो जाये की माँ के जाने की कमी हमे दूखीः ना करे पर माँ पलट कर देखते हुए कहती हे के मे तुम्हारे साथ हूँ और मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा जब कोई बड़ा व्यक्ति घर मे आता हे तो सारे दिन काम और चर्चा मे व्यस्त हो जाता है साथ  ही हम उनका मान रख कर गम कोई गलती न करने का पूरा प्रयास करते हे माँ बच्चों से यही कहती हे कि जिस तरह तुम नौ दिन रहे हो बाद मे भी मेरा स्मरण कर एेसा कोई काम मत करना जिससे माँ को दुःख पहुँचे हमारी भारतीय संस्कृती  मे यह शिष्टाचार हे कि हम व्यक्ति के मौजूद नहीं रहने पर भी हम उसके चित्र व उससे जुड़ी वस्तु संदेश से हम भावनात्मक रूप से जुड़े होते है
इस वजह से हम एेसा कोई कार्य नहीं करते की उन्हें दुःख पहुँचे
ठीक उसी प्रकार हम माँ से भी जुड़े हुए है  और माँ की दी खुशियों के सहारे हम प्रसन्नता से जीवन जीते है।

Sunday 9 March 2014

महिला का दूसरा रूप

हा में एक महिला हूं पर मुझे यह पता चलता है कि कुछ महिलाएं अपने ही घर में अत्याचार करती है जिस देश में मे रहती हूँ यह देश संस्कारों से भरा हुआ यहा नारी की देवी की रूप में पूजा की जाती है।
हमारा देश आदर्श महिलाओं का देश है हमारे देश की महिलाओं के दिल में अमरत्व मातृत्व प्रेम प्यार त्याग बलिदान हिम्मत जौहर सब कुछ इस देश की मिट्टी से बनी महिला में है, पर वह कोनसी महिला हैं जो इस देश की महिलाओं को बदनाम कर रही है, अपने पति सास ससुर पर अत्याचार करती हैं?
आखिर वह कोनसी दलदल की मिट्टी से बनी है जिसने अपने संस्कारों को ताक पर रख दिया है?
महिला ग्रह लछमी कहलाती है ग्रह शान्ति कहलाती है ग्रह में कलह करने वाली महिलाओं को हम क्या कहेंगे?  महिलादिवस पर हम महिलाएं व महिलाओं से जुड़ी संस्थाएं  संकल्प ले की जो महिलाएं ऐसी हो उन्हें हम समझाने का प्रयास करें ताकि नारी का नाम बदनाम ना हो।


Saturday 19 October 2013

नारी अभिस्राप है


नारी अभिस्राप है इस सृष्टी पर जीवन उसका बेहाल है इस सृष्टी पर 
       रित यही है इस    दुनिया की दे दो समन्दर तुम दर्द और आंसुओ का 

अखियाँ फिर भी अपनेपन की खोज में ढूंड रही है अपनों को अपने में 
       भीगी पलके बता रही है तुम मान जाओ यू न सताओ आखिर क्या कसूर हे मेरा ?

श्राप भगवान ने नारी तुझे बनाया नारी ने सोचा था पूजा होगी सम्मान मिलेगा 
       पर पता नही था के यहाँ दर्द और आंसुओ का समन्दर मिलेगा 

हे भगवान अगले जन्मो में पत्थर बना देना नीर बना देना पर नारी बना के आखों मैं नीर ना देना  
   

Friday 5 July 2013

विश्वास हैं हमें






व्यक्ति के जीवन में चाहे कितनी भी तकलीफे भी क्यों न आये अगर वो हिम्मत से काम ले  विपरीत परिस्थितियों में टूटता नही और जीवन को भगवान के भरोसे छोड़  देता हें  और अपने कर्म किये जाता हैं  और विपरीत परिस्थितियों में  नहीं हारना चाहिए । हमें हमारा हर काम  की कोशिश करना चाहिए । यह विश्वास हैं हमें बघ्वान हमारा साथ जरुर देगा । 

आशा



आशा  यानी उम्मीद होना के शायद सब कुछ अच्छा होगा पर हर बार परिणाम विपरीत आता हैं 
कर्म रूपी आशा की सीमा समाप्त नही होती 
हर असफलता के बाद फिर सफलता की आशा व्यक्ति हर बार कोशिश करता रहता हें  तो उसे सफलता मिलती हैं 
क्योकि बार  बार प्रयत्न करने से सफलता तो  मिलेगी कर्म रूपी आशा मैं व्यक्ति को अपनी मेहनत के मुताबिक परिणाम का पता रहता हैं। 
इसके ठीक विपरित व्यहवारिक रूपी आशा यहाँ पर व्यक्ति परस्पर आपस मैं व्यवहारिक परिवारक समाजिक रिश्ते नाते ये सब व्यक्ति के आपसी व्यवहार से चलते हैं 

व्यवहार में  त्याग कर्तव्य प्यार तब तो व्यवहारिक रूपी आशा में  आप सफल हो अगर इन सब में  से  किसी भी एक में  कमी आजाती हें  तो आप असफल व्यक्ति कहलायेगे क्योकि फिर आप आशा नही कर सकते की किसी भी एक व्यवहार की कमी आने पर परिणाम क्या आएगा 

जीवन में आंसू सबसे बड़ा मित्र हैं



आंसू व्यक्ति के जीवन में  उसका सबसे बड़ा मित्र होता हैं आंसू क्योकि जब भी कभी व्यक्ति कभी आधिक खुश होता हैं तो ख़ुशी के मारे आंसू ही आते हैं सो पहला मित्र आंसू ही होता हैं और जब व्यक्ति बहुत दुखी परेशान होता हैं तो आंसू ही आते हैं तो सुख और दुःख दोनों का साथी आंसू ही हैं 

आंसू बह जाने से व्यक्ति हल्का हो जाता हैं किसी भी परिस्थित में व्यक्ति के जीवन काल मैं ख़ुशी या गम हो सरे मित्र परिवार बाद में  मिलते हैं सबसे पहले आंसू आप के साथ होते हैं आंसू बहने से व्यक्ति का दिल हल्का हो जाता हें  इसलिए कहते हें आंसू अगर आये तो बह जाने दो उन्हें मत रोको व्यक्ति के जीवन में अगर आंसू नही होते तो ख़ुशी के मारे दिल फट जाता व्यक्ति के जीवन में अगर आंसू नही होते तो गम के मारे दिल फट जाता 
जीवन में  आंसू सबसे बड़ा मित्र हैं 

मेरा जीवन कोर कागज़ कोर ही रह गया





मेरा जीवन कोर कागज़ कोर ही रह गया पथरीली आँखों मैं अब तो सिर्फ सवाल रह गया फूलो मैं खुशबू होती हैं पर मेरा फूलो के पास से गुजरना ना गवार हो गया  मेरा जीवन कोर कागज़ कोर ही रह गया 

पथरीली राहों पर कडकती धूप  में  नंगे पैर तेज़ रफ्तार में  हम चल रहें पाँव पर पड़े चाले गवाह हमारे अकेले काँटों भरी राहों के दिल में दर्द आखों में आंसू लिए हम चल रहें थे पर उन आंसुओ  का बहना भी अब दुस्वार हो गया मेरा जीवन कोर कागज़ कोर ही रह गया