Saturday 16 February 2013

काश आंसुओ के सहारे जिन्दगी बीत गई होती


काश आंसुओ के सहारे जिन्दगी बीत गई होती


काश आंसुओ के सहारे जिन्दगी बीत गई होती हम यू ना भटक गये होते पता नही दिल के किस कौने में मरघट समाया हुआ लाश मेरी यू  ही जलती रही दिल तडपता रहा 
क्यों जिन्दगी में सुनापन सा छाया हुआ लाख मुस्कुराने पर भी आंसुओ में डूबा हुआ जो हमराज मिला बेवफा मिला अपना पन पाने के लिए इस कद्र तडप गये ये तो ख्वाब भी नही था हम नही मानते हमे कोई खता की कसूर तुम्हारा हैं इश्वर की तुमने हमारे साए से हमे दूर किया कसूर तुम्हारा हैं माँ की तुमने हम से आंचल छुड़ा लिया काश आंसुओ के सहारे जिन्दगी बीत गयी होती 
लाख सुविधाए हो लाख स्वतंत्रता हो मगर हाँ ये सच हैं की संसार मे हर किसी को प्यार विश्वास नही मिलता मेहनत कर के इंसान महान बन सकता हें शिक्षा पाकर इंसान बुद्धिमान बन सकता हें मगर विश्वास और प्यार कुछ भी करने पर नही मिलता इश्वर तूने ये केसी बेमोल चीज़ दी जिसे पाने के लिए इंसान अपनी जान भी दे सकता हैं।

डर लगता हें




डर लगता हें 



हमे तो अपनों से भी डर लगता हें  बेगानों से भी डर लगता हें हर सख्स से

 हमे डर लगता हें कौन अपना कौन पराया हर चीज से हमे डर लगता हें।

हमे आजकल अपने आप से भी डर लगता हैं।

आत्मविश्वास




आत्मविश्वास 




इंसान को किसी के सहारे की जरूरत नही होती उसका सहारा उसका

 अपना आत्मबल उसका विश्वास और उसकी मेहनत

पर न जाने क्यों इंसान सहारा ढूंढता रहता हैं।

और वो सहारा सिर्फ उसके लिए एक छलावा या एक धोका हें जो उसे

 परेशानियों के अलावा कुछ नही दे सकता


Thursday 14 February 2013

टूटता तारा







टूटता तारा 

मैं वो आंसमा से टुटा तारा हूँ जो आसमान से टूट जाने के बाद अस्तित्व हीन हो जाता हैं जब तक आसंमा मे रहता हें तब तक वह तारा तारामंडल की गिनती में आता हें जेसे की तारा टूटता हें तो बहुत से लोग टूटते तारे को देखकर मन्नत मांगते हें बस उसके बाद वो तारा अस्तित्व हीन हो जाता हैं 
व्यक्ति भी परिवार से जुड़ा रहें तब तक ठीक हैं परिवार व समाज से अलग होने के बाद वो व्यक्ति अस्तित्व हीन हो जाता हैं और फिर नारी अगर परिवार और समाज से अलग रहती तो स्थित और भी गम्भीर हो जाती चाहे वो नारी संघर्षशील हो अपनों की सताई हो पति से पीड़ित हो अगर उस नारी ने अपना स्थान अलग बनाया भी तो भी समाज उसे हीन द्रष्टि से देखता हैं पुरुष प्रधान समाज में पतिपत्नी को साथ देखा जाता हें वही उनका सम्मान बड जाता हें भले ही नारी ने अपने बच्चो का भरन पोषण कर उन्हें योग्य बनाया भी तो क्या ? क्या फर्क पड़ता हें ये तो औरत की जिम्मेदारी हैं पर क्या पुरुष की नही ?

पुरुष को कभी भी घ्रणा की द्रष्टि से नही देखा जाता दोष नारी में ही ढूंढ़ते हें ये समाज ये परिवार सोच कर  दिल भर आता हें पर क्या टूटते तारे न जमीं  पर गिरते हें ना आंसमा में रहते हें वो तो सिर्फ लुप्त हों जाते हैं। 



* बसंत के मायने  * 











इस बसंत के मौसम में  चारो और गोदावरी गुलमोहर सरसों के कई तरह के फुल खिलते महकते हैं चारो और अपनी सुन्दरता बिखेरते हैं।

एक हर भरा केसरिया सा उर्जावान खुशियों भरा त्योहारों भरा प्यार भरा ये बसंत अपने साथ लिए आता हें

 व्यक्ति के व्यक्तित्व का लगता हैं सोच बदल जाती सरे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं शायद इसीलिए बसंत

 कहते हैं बहार बनकर आता हैं वही दूसरी तरफ बसंत के मायने बदल जाते हैं खिलते फूलो का बिखर जाना

 बिखर के टूट जाना तेज हवा और तूफानी हवा के झोकों से पेड़ो का उजड़ जाना पेड़ों पर लगे पत्तें डलिया फुल

 सबका टूट के धरती पर बिखर जाना चारो तरफ तेज आंधी पतझड़ से तितर बितर होते वृक्ष उजड़ा चमन टूटते दिल एक दर्द का एहसास करा जाता हैं।

नकारात्मक सोच हो जाती हैं बसंत के मायने बदल जाते हैं बहार उसके लिए जहा जीवन में खुशिया हो पतझड़ उसके लिए जहा जीवन वीरान हो।*

Sunday 10 February 2013

समय का फेर





समय का फेर 




वक्त जब बुरा होता हैं तो कहते हैं आप का साया भी आपका साथ छोड़ देता हैं सच ही तो है परिस्थितिया बिलकुल विपरीत हो जाती हैं 
अपने बेगाने हो जाते हैं व्यक्ति का बात करने का तरीका बदल जाता हैं व्यक्ति आप से दूरिया बना लेता हैं या फिर आप का मजाक बना देता हैं यदि आप से कोई छोटा हैं तो आपके सम्मान मैं कमी करदेता हैं यहा तक आप को उपदेश भी देता है चाहें वो खुद किसी योग्य न हो व्यगं करे बिना नही रहता वक्त जब बुरा होता हैं तो अच्छे अच्छो की पहचान हो जाती हैं 
कौन अपना कौन पराया कौन कितना साथ दे सकता हैं कौन मझदार मैं छोड़ सकता हैं कौन आप को खून के आंसू रुला सकता हैं ये सारी बाते बुरे वक्त पर निर्भर करती  हैं 
इंसान का वक्त जब बुरा होता हैं तो चारो तरफ से असफलता सामने आती हैं 
शायद भगवान भी परीक्षा लेते हैं कुछ लोग बुरे वक्त से घबराकर जीवन त्याग देते हैं कुछ लोग घर त्याग देते हैं कुछ लोग पागल हो जाते हैं कुछ बिमार हो जाते हैं और कुछ लोग हिम्मत से वक्त के साथ लड़ने की तेयारी करते हैं पर बुरा वक्त तो बुरा ही हैं क्योकि आदमी लड़ते लड़ते थक जाता हैं बुरा वक्त नही थकता आदमी को चाहिए की अच्छे वक्त का इंतज़ार करे निराश न हो चाहें वर्षो ही क्यों न लग जाये समय बदल ता हैं इश्वर की शक्ति को पहचाने उस पर भरोसा करे हो सकता हैं की हम सबसे ज्यादा दुखी हो पर ढूंढने पर पता चलेगा की आप से भी कोई ज्यादा दुखी हैं उसको देखकर आप को दुःख से लड़ने की शक्ति मिलेगी किसी का वक्त जब बुरा आता हैं तो किसी के लिए बिमारी लेकर आता हैं किसी के लिए पारिवारिक कलह कोई आर्थिक तंगी से परेशान कोई अपमान जनक स्थति मैं रहता हैं तो किसी को भगवान ये सारी तकलीफ एक साथ दे देता हैं 
इन परिस्थितियों मैं वो ही व्यक्ति सफल होता हैं जो ईश्वर की शक्ति को अपनी ताकत बनाये हमारा पूरा विशवास हैं की तकलीफों मैं ही हिम्मत मिलेगी और बुरे वक्त मैं जीना आसान हो जायेगा कहते हैं कर्म ही कामधेनु प्रार्थन ही पारसमणी हैं। 

( जो आप के भाग्य मैं नही हैं वो दुनिया की कोई भी शक्ति आप को दे नही शक्ति और जो आपके भाग्य मैं हैं वो दुनिया की कोई भी शक्ति आप से छीन नही सकती ईश्वरीय शक्ति सम्भव को असम्भव व् असम्भव को सम्भव बना सकती हैं ) 

Friday 8 February 2013

महत्व




महत्व 



रिश्ते कई तरह के होते हैं कई रिश्ते खून के कई रिश्ते दूध के कई रिश्ते सामाजिक रीतिरिवाजो मैं बंधे रिश्ते दोस्ती के रिश्ते कई ऐसे होते हें हैं जिन्हें नाम देना मुश्किल ही नही नामुमकिन हैं पर सफल रिश्ते वही हैं जो रिश्तो का महत्व समझे व रिश्ते निभाए वरना कई रिश्ते टूट चुके हैं कई रिश्ते टूटने की कगार पर हैं कई रिश्ते खिच रहे हैं कई रिश्ते बहुत अच्छी तरह से निभा रहें हैं और कई ऐसे रिश्ते जिनका नाम ही नही पर आपको हिम्मत व सम्बल दिलाते रहते हैं सही रिश्ता वही जो आपके हर सुख दुःख मैं साथ दे वरना इसे रिश्तेदारो को सिर्फ रिस्तो को कातिल समझे जो रिश्ता दर्द का बन जाये उससे दुरी बनाये रखे न की ढोए सही रिश्तो मैं त्याग होता हैं प्यार होता हैं अपना पन होता हैं हर सुख दुःख का साथ होता हैं वक्त आने पर आप को अच्छा बुरा समझाये न की समस्या बडाये 

समझोता






समझोता -

कहते हैं व्यक्ति को समय से समझोता कर लेना चाहिए क्या हमे सचमुच समझोता कर लेना चाहिए ? शायद सभी की अपनी अलग अलग सोच होती है।
समय से समझोता करना भी एक स्थिति पर निर्भर करता हैं की किन परिस्थितियों मे आदमी समय से समझोता करता हैं किन पर नही -
1. व्यक्ति अपना मान सम्मान स्वाभिमान ताक पर रखकर समय से समझोता कर ले शायद ठीक नही होगा।
2. व्यक्ति अपना चरित्र ताक पर रखकर समझोता कर ले क्या ठीक होगा ?
3. व्यक्ति को कोई बार बार क्रूरता दिखाए अपमानित करे  ठेस पहुचाये और थोड़ी देर बाद हस कर आप से कहे चलो ठीक झगड़ा खत्म क्या व्यक्ति को इन परिस्थितियों से समझोता करना चाहिए अगर आप समझोता करते है तो एक शर्त पर की सामने वाला व्यक्ति ये गलती दोबारा नही दोहराए  अगर वह ये गलती दोहराता रहता और आप समझोता करते हैं तो आप का जीवन इस समझोते के आधार पर सामने वाला नारकीय बना देगा 
4. व्यक्ति को समय से समझोता वही करना चाहिए जहा व्यक्ति का विकास नही रुके व्यक्ति के जीवन मैं उर्जा संचार बना रहें व्यक्ति अपने जीवन को जी सके नाकि घुट घुट कर जिए जहा पर आप समझोता कर रहें हैं क्या वहा पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास हो न की अडचने पैदा हो शायद इसलिए कहते हैं समझोते पर जिन्दगी नही चलती खिचती हैं .

Thursday 7 February 2013

हमे चोट मंजूर हैं






आप आप न रहें ये हमने कभी सोचा नही था हकीकत से हम क्यों घबराते हैं आप हमारे हो ही नही इस बात से हम क्यों टकराते हैं 
पत्थरो को हमने पूजा हमने कभी ये क्यों नही सोचा की हमे पत्थर क्या दे सकते हैं न कोई वरदान न कोई प्यार हा वो हमे अभिस्राप जरुर दे सकते हैं क्योकि पत्थरो से सर फोडोगे तो चोट तो हमे ही आयेगी 

प्रिय हमे चोट मंजूर हैं अगर एक पल के लिए आप हमारे बारे मे सोचो 

गमों के सागर मे डूबी हुई हूँ में








गमों के सागर मे डूबी हुई हूँ में 


अपने पन की खोज मैं खोई हुई हूँ में 

छलकपट की इस दुनिया में कहा प्यार की खुसबू 

जहा भी में जाऊं एक भेद सा में पाऊं 

दिल में कितने छाले किसे अपना समझ कर दिखाऊ 

जो हे अपना वो भी तो परायो सा लगता हें 

मेरे मुस्कुराते चहेरे को खुशी का समंदर समझता हैं।

दिखावा





दिखावा

 

आखिर समाज का स्तर क्या है सिर्फ दिखावा ? हर चीज़ का दिखावा रहने का दिखावा खाने का दिखावा प्यार का दिखावा रिश्ते का दिखावा आखिर इस दिखावे के चक्कर मैं इंसान अकेला पड गया क्योकि उसके पास सिर्फ दिखावे के अलावा कुछ नही बचा .

व्यक्ति सिर्फ दिखावा करते करते ही मर जाता हैं और अपनी असल जिन्दगी जी नही पता इंसान को हकीकत से वाकिफ होना चाहिए 
हमारे संस्कार हमारा प्यार हमारा एक दुसरे के प्रति त्याग इसे ही कहते हैं जिन्दगी जिना जहा अपनों को खुश देखकर दुगना खुशी होना अपने स्वार्थ को त्याग कर कितनी ख़ुशी मिलती हैं मगर आज के समाज की स्थति इतनी विकट हो चुकी है की एक इंसान दुसरे इंसान को रोककर उपलब्धी प्राप्त करता हैं अपनी खुशी के लिए दुसरो का हर तरह से शोषण करता हैं. 

Tuesday 5 February 2013

मे मुक्त गगन का पक्षी हूँ




मे मुक्त गगन का पक्षी हूँ 



मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही 

ये नीड़ निशा का आश्रय हैं पिंजरे से मुझको प्यार नही
 
स्वछन्द समीर लहरों मे मे बहती रहती हूँ नील गगन के निचे मे ये गीत गुनगुनाया करती हूँ
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
सांसो पर मेरी बेडीया लगता हे कसी हुई ये न जानू मे मेरी हर सांस दबी हुई दिल का हाल किसे बताऊ मेरा दर्द न जाने कोई
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
हर बार मेरे पर काट दिए उड़ने की नाकाम कोशिशो पर यु जी रहें हैं घुट घुट कर अपनों का कोई सरोकार नही
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही 

उस पिंजरे से भी मुझको प्यार था पर बदले मैं मुझको अपमान तिरस्कार स्वीकार नही 

मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
मेरे दिल के हर टुकड़े को कई बार छलनी कर दिया मेरे जख्मो का कोई उपचार नही
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
अविश्वास की डोरी मैं बंधी मेरी जिन्दगी मेरे सच  से किसी को कोई सरोकार नही हर दर्द मैं अकेले रहना हैं यु आंसू बहाते रहना हैं इस धरा पर कोई अपना कहने वाला नहीं
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही ये नीड  निशा का आश्रय हैं पिंजरे से मुझको प्यार नही 

वक्त

वक्त



वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया देखते रह गये हम हर सुबह के बाद शाम सूरज यु ढल गया
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया 
सपने बस सपने बन कर रह गये सपनों को साकार करना रह गया
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया
कब बचपन बिता कब जवानी आई कब बुढ़ापा शुरु हो गया राहें भटक गये मंजिले बदल गयी पर हम खड़े सही वक्त की ताक मैं हमारा वक्त निकल गया पल बिता घड़ी बीती कई पहर बित गये हम लड़खडाते कदमो से वक्त को पकड़ने के लिए वक्त के पीछे भाग रहें पर वक्त की तेज रफ्तार ने हमारे लड़खडाते कदमो का साथ छोड़ दिया
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया .