Tuesday 5 February 2013

मे मुक्त गगन का पक्षी हूँ




मे मुक्त गगन का पक्षी हूँ 



मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही 

ये नीड़ निशा का आश्रय हैं पिंजरे से मुझको प्यार नही
 
स्वछन्द समीर लहरों मे मे बहती रहती हूँ नील गगन के निचे मे ये गीत गुनगुनाया करती हूँ
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
सांसो पर मेरी बेडीया लगता हे कसी हुई ये न जानू मे मेरी हर सांस दबी हुई दिल का हाल किसे बताऊ मेरा दर्द न जाने कोई
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
हर बार मेरे पर काट दिए उड़ने की नाकाम कोशिशो पर यु जी रहें हैं घुट घुट कर अपनों का कोई सरोकार नही
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही 

उस पिंजरे से भी मुझको प्यार था पर बदले मैं मुझको अपमान तिरस्कार स्वीकार नही 

मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
मेरे दिल के हर टुकड़े को कई बार छलनी कर दिया मेरे जख्मो का कोई उपचार नही
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही
 
अविश्वास की डोरी मैं बंधी मेरी जिन्दगी मेरे सच  से किसी को कोई सरोकार नही हर दर्द मैं अकेले रहना हैं यु आंसू बहाते रहना हैं इस धरा पर कोई अपना कहने वाला नहीं
 
मे मुक्त गगन का पक्षी हु बंधन मुझको स्वीकार नही ये नीड  निशा का आश्रय हैं पिंजरे से मुझको प्यार नही 

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