Friday, 23 March 2012

माँ का स्नेह




नववर्ष आया संग नवरात्रि व पर्व माँ दुर्गा संग लाया 


यह सच है की हम माँ दुर्गा की पूजा करते हैं अखंड ज्योति भी जलाते हैं, जागरण भी करते हैं
हम सब व्रत करते हैं आखिर हम माँ से क्या मांगते है 
हर व्यक्ति अपनी इच्छाएँ माँ के सामने रखता है और मुझे लगता है माँ सबके सपने साकार करती है देर सवेर पर क्या कोई ऐसा भी है जो सिर्फ निःस्वार्थ माँ की सेवा पूजा करता,  अगर है तब तो बिना मांगे ही माँ सबकुछ दे देती हैं 
मांगने पर तो माँगा वही मिलता कहते है 
       
                "बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न नीर"


सच ही तो है माँ अपने बच्चों की सांसों, धड़कन और आँखों से पहचान लेती हैं फिर क्या जरुरत है माँ से कुछ मांगने की माँ शब्द प्यार, स्नेह और आशीर्वाद से भरा होता है
माँ कभी नहीं चाहती की मेरे बच्चें दुखी हो पर गलती पर सजा तो दे सकती है कुछ समय के लिए मगर माँ का स्नेह कभी ख़त्म नहीं होता
माँ की सेवा, पूजा निःस्वार्थ मन से करें न की लालच से क्योंकि हम खुद इंसान लालची व्यक्ति को बर्दाशत नहीं करते 

1 comment:

  1. Hindi Blogs ki duniyaa me aapkaa svaagat hai
    yaa maalavi yu kahiye ki paamanaa ki aavaabhagat hai
    bahanaa blog aesi lat hai jo chut nahi sakati
    bahaanaa kitani door ho rooth nahi sakati

    ReplyDelete