अन्याय
कुछ समय पहले किरण बेदी का सीरियल चल रहा था
"आप की कचहरी " किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम महिला आई पी एस अधिकारी एवं महिलाओ की आदर्श यहाँ तक की पुरषों को भी लोहा मनवा चुकी एक सशक्त महिला हैं (इनके कार्यकाल मैं केदियो के सुधार हेतु कई कार्यक्रम चलाये गये जिससे कई केदी लाभान्वित हुए)
सच हैं की हर महिला को किरण बेदी की तरह ही बनना चाहिए मगर उस महिला के पीछे सदेव ऐसे माता पिता का हाथ होना स्वभाविक हैं जो उसे उतम शिक्षा दे, दूसरा अच्छा पति का जो सहयोग दे.
क्या किरण बेदी के साथ इन्साफ हुआ नही क्योकि पुरुष प्रधान समाज मैं हमेसा हर रूप मैं औरत का अस्तित्व ही मिटाया जाता हैं किरण बेदी का प्रमोशन होना और प्रतिभा प्रतिभा पाटिल का राष्ट्रपति बनना ये दोनों बाते एक ही दिन होनी थी मगर किरन बेदी हर तरह से योग्य होते हुए भी और सीनियर होते हुए भी उनका प्रमोशन नही होना और उनसे जूनियर किसी पुरुष का प्रमोशन हो जाना
(इस घटना के बाद किरण बेदी ने आपने पद से इस्तीफा दे दिया)
ये हर महिला के लिए एक दुखद समाचार था दूसरी तरफ श्रीमती प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति बनती हैं यह हैं राजनीति अखबार मैं बहुत बड़ी खबर मगर फिर भी नाही तो सरकार के कान पर जू रेंगती हैं और न ही किसी संस्था का विरोध.
ना ही महिलाओ की कोई प्रतिक्रिया देखने मैं आई ये हैं निक्रष्ट समाज फिर भी जिसके लिए किरण बेदी आज सामाजिक बुराई या संस्था की तरफ से केस ले रही हैं न्याय की कोशिस कर रही हैं उस निक्रष्ट समाज के लिए जिस समाज ने एक आदर्श महिला को अपने हक से वंचित कर दिया वही समाज किरन बेदी के सामने हाथ फेलाए खड़ा हैं हमे शर्म आना चाहिए इस पुरुष प्रधान देश मैं अगर महिला एक हो जाती अगर महिला राष्ट्रपति इस बारे मैं कुछ सोचती तो शायद हमारी आदर्श किरन बेदी हमारी नई पीडी को और नई पहचान देती मगर हमारी राष्ट्रपति को अपने राष्ट्रपति बनने की ख़ुशी मैं एक आदर्श महिला संघर्षी महिला का हक दर्द व् पीड़ा समझ मैं नही आया वो तो फुल मालाओ मैं इतनी लद गई की बेदी की दर्द पीड़ा को अनदेखा कर दिया यह हैं समाज की व्यवस्था .
. एक महिला का मोन रहना दूसरी महिला पर अत्याचार
. समाज जिम्मेदार हैं योग्य व्यक्ति को हक नहीं दिलाने का
कुछ समय पहले किरण बेदी का सीरियल चल रहा था
"आप की कचहरी " किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम महिला आई पी एस अधिकारी एवं महिलाओ की आदर्श यहाँ तक की पुरषों को भी लोहा मनवा चुकी एक सशक्त महिला हैं (इनके कार्यकाल मैं केदियो के सुधार हेतु कई कार्यक्रम चलाये गये जिससे कई केदी लाभान्वित हुए)
सच हैं की हर महिला को किरण बेदी की तरह ही बनना चाहिए मगर उस महिला के पीछे सदेव ऐसे माता पिता का हाथ होना स्वभाविक हैं जो उसे उतम शिक्षा दे, दूसरा अच्छा पति का जो सहयोग दे.
क्या किरण बेदी के साथ इन्साफ हुआ नही क्योकि पुरुष प्रधान समाज मैं हमेसा हर रूप मैं औरत का अस्तित्व ही मिटाया जाता हैं किरण बेदी का प्रमोशन होना और प्रतिभा प्रतिभा पाटिल का राष्ट्रपति बनना ये दोनों बाते एक ही दिन होनी थी मगर किरन बेदी हर तरह से योग्य होते हुए भी और सीनियर होते हुए भी उनका प्रमोशन नही होना और उनसे जूनियर किसी पुरुष का प्रमोशन हो जाना
(इस घटना के बाद किरण बेदी ने आपने पद से इस्तीफा दे दिया)
ये हर महिला के लिए एक दुखद समाचार था दूसरी तरफ श्रीमती प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति बनती हैं यह हैं राजनीति अखबार मैं बहुत बड़ी खबर मगर फिर भी नाही तो सरकार के कान पर जू रेंगती हैं और न ही किसी संस्था का विरोध.
ना ही महिलाओ की कोई प्रतिक्रिया देखने मैं आई ये हैं निक्रष्ट समाज फिर भी जिसके लिए किरण बेदी आज सामाजिक बुराई या संस्था की तरफ से केस ले रही हैं न्याय की कोशिस कर रही हैं उस निक्रष्ट समाज के लिए जिस समाज ने एक आदर्श महिला को अपने हक से वंचित कर दिया वही समाज किरन बेदी के सामने हाथ फेलाए खड़ा हैं हमे शर्म आना चाहिए इस पुरुष प्रधान देश मैं अगर महिला एक हो जाती अगर महिला राष्ट्रपति इस बारे मैं कुछ सोचती तो शायद हमारी आदर्श किरन बेदी हमारी नई पीडी को और नई पहचान देती मगर हमारी राष्ट्रपति को अपने राष्ट्रपति बनने की ख़ुशी मैं एक आदर्श महिला संघर्षी महिला का हक दर्द व् पीड़ा समझ मैं नही आया वो तो फुल मालाओ मैं इतनी लद गई की बेदी की दर्द पीड़ा को अनदेखा कर दिया यह हैं समाज की व्यवस्था .
. एक महिला का मोन रहना दूसरी महिला पर अत्याचार
. समाज जिम्मेदार हैं योग्य व्यक्ति को हक नहीं दिलाने का
Achcha lekh lagaa achchi mahilaao ko protsaahan ki aavshyak hai
ReplyDeleteSatya Preshaan ho skta hai pr Prajit nhi ho skta.
ReplyDeleteBus jrurat hai to such ke liye such ke saath ldne ki.