लाख दिये के तले अँधेरा हो मगर औरों को रोशन कर देता है
असीम ज्योति है उसके पास मगर खुद अंधियारे में रहता है
जब दिये कि जीवन ज्योति बुझ जाती है
तो वो ही उन्हीं दुनिया वालों के लिए महत्वहीन हो जाता है
और तो और उसका साया भी उसका साथ छोड़ देता है
मगर हमें प्रकाशवान दिये से अपनी तुलना करनी चाहिए
न कि उस दिये को महत्वहीन समझ कर नज़रअंदाज़ करना चाहिए
महत्वहीन हो जाने के बाद भी उसकी महत्ता खत्म नहीं हो जाती
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