Thursday, 22 March 2012

नारी का अस्तित्व



हे नारी तेरा रूप अस्तित्व कहाँ खो गया तेरा सपना कहीं दफ्न हो गया


(नारी) तूने तो सबको किनारे लगाया था तुझे मझधार में कौन छोड़ गया
वो हँसता-मुस्कुराता चेहरा, चंचल निगाहें कहाँ खो गयी 
क्यों बेजान चेहरा पत्थर सी बन गयी हो 


हे नारी तेरा रूप अस्तित्व कहाँ खो गया तेरा सपना कहीं दफ्न हो गया


जिसको तूने सहारा दिया वो तुझे तोड़ कर चला गया 
तेरी अग्निपरीक्षा बहुत हो चुकी क्यों घबरा जाती हो,
हिम्मत हार जाती हो और क्यों आंशु बहती हो 


कोई शख्श तुम्हारे आंशु नहीं पोंछेगा इस तरह तो तुम मिट जाओगी और तुम्हारी पहचान ख़त्म हो जाएगी 


अपना रास्ता खुद बनाओ मंजिल तुम्हे नज़र आयगे इस मृत दुनिया को मत देखो जिसने तुम्हें छला हैं, जिसने तुम्हें तोड़ा है 


तुम माँ मरियम बन कर दिखाओ, सीता और अनुसुइया बन कर दिखाओ 
वक़्त आने पर झांसी की रानी दुर्गा बन कर दिखाओ 


हे नारी तेरा रूप अस्तित्व कहाँ खो गया तेरा सपना कहीं दफ्न हो गया











No comments:

Post a Comment