Tuesday, 1 January 2013

 हां मैं भारत की नारी हूँ 



गम पीती हूँ दर्द सहती हूँ अपनों के लिए जीती हूँ।  
हां  मैं नारी हूँ  हां मैं ममता से भरी हूँ समर्पण मेरा भाव हैं त्याग मेरा जीवन हैं हां मैं भारत की की  नारी हूँ  - हां  बदले मैं मुझे थोडा  मान सम्मान चाहिए बस दे दो  मुझे अपनों का सहारा जीवन तर जाये मेरा हां  मैं भारत की वो नारी हूँ।


हा अगर नारी के रूप मैं कोई अपवाद मिल जाये तो तुम् मुझे दोष न देना क्योकि वो नारी नही नारी के रूप मैं कुल नासनी हैं संस्कारहीन हैं। 
नारी तो आदर्श की मूर्ति होती हैं समर्पण की देवी होती हैं ममता की मूरत होती हैं प्यार का सागर होती हैं अभावों मैं हस कर जीना जानती हैं।
जानती हैं परिवार को तोडती नही जोडती हैं खुद अपनी इच्छाओ को त्याग कर सबका ध्यान रखती हैं तभी तो वो माँ कहलाती हैं बहन और पत्नी कहलाती हैं।
वरना संस्कारहीन नारी वह तो मर्गत्र्श्ना की भाती हैं वह नारी अशांति फेलाने वाली नारी, नारी नही निशाचरनी कहलाती हैं।
हां मैं भारत की नारी हूँ।
यहाँ सीता हुई अनुसुइया हुई यहाँ झाँसी की रानी  अहिल्या हुई भक्ति की देवी मीरा हुई पन्नाधाय सी निष्ठावान हुई।
हां मैं भारत की नारी हूँ यहा माँ दुर्गा की छवि हुई 
हां मैं भारत की नारी हुई।  

1 comment:

  1. नारी पर एक सार्थक लेख बहुत सुन्दर

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