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आंसू भरी आँखे मेरी हम किसे बताये कोई तो हो अपना जिसे हम अपना समझ पाए कोई नही इस दुनिया मैं तुम्हारा जिसे तुम हमदर्द समझो यह पर इंन्सान नही शैतान रहते हैं तुम आंसू पोछने के लिए किसे ढूंड रहें हो तुम्हे आंसू के बदले तोड़ कर या मिटा कर चले जायेंगे कोई हमसफर नही हैं तुम्हारा नही कोई दोस्त जो हैं तुम्हारा हकीकत मैं वो भी तुमसे अनजान हैं हर बार चोट पहुचाई हर बार ठोकर तुमने खाई फिर भी सम्भल नही पाई इस दुनिया मैं यही होता हैं घुट घुट कर जियो या मर जाओ आंसू कोई तुम्हारे नहीं पोंछेगा या फिर तुम उस मुकाम पर पहुच जाओ जहा पर दर्द भी तुम्हारे पास आने से घबराए व्यक्ति को अपना विकास स्वयम करना पड़ता हैं अपना स्थान भी स्वयम बनाना पड़ता हैं।
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