Tuesday, 15 January 2013

खोज


खोज 




आंसू भरी आँखे मेरी हम किसे बताये कोई तो हो अपना जिसे हम अपना समझ पाए कोई नही इस दुनिया मैं तुम्हारा जिसे तुम हमदर्द समझो यह पर इंन्सान  नही शैतान रहते हैं तुम आंसू पोछने के लिए किसे ढूंड रहें हो तुम्हे आंसू के बदले तोड़ कर या मिटा कर चले जायेंगे कोई हमसफर नही हैं तुम्हारा नही कोई दोस्त जो हैं तुम्हारा हकीकत मैं वो भी तुमसे अनजान हैं हर बार चोट पहुचाई हर बार ठोकर तुमने खाई फिर भी सम्भल नही पाई इस दुनिया मैं यही होता हैं घुट घुट कर जियो या मर जाओ आंसू कोई तुम्हारे नहीं पोंछेगा या फिर तुम उस मुकाम पर पहुच जाओ जहा पर दर्द भी तुम्हारे पास आने से घबराए व्यक्ति को अपना विकास स्वयम करना पड़ता हैं अपना स्थान भी स्वयम बनाना पड़ता हैं।

No comments:

Post a Comment