Thursday, 10 January 2013

शायद मुझे ऐसा लगता हैं की हर रिश्ते मैं विराम होता हैं।


शायद मुझे ऐसा लगता हैं की हर रिश्ते मैं विराम होता हैं। वरना 

जहा प्यार हैं वह नफरत का साया क्यों ? जहा दिल हैं वहां दर्द क्यों ? जहा सबकुछ हैं वहा फिर  तन्हाई क्यों  जहा प्यार हैं वहा कमी ?क्यों जहा खुशिया हैं वहां आंसू क्यों ?


शायद मुझे ऐसा लगता हैं की हर रिश्ते मैं विराम होता हैं।
वरना जहाँ दवा हैं वहां दर्द क्यों ? जहा सकून की नींद हैं वहां बेचेनी क्यों ? 

जहाँ रात सपनों मैं गुजर जाती हो वहां सिर्फ सकून खोजती आँखे  और  
करवटे क्यों ?

शायद मुझे ऐसा लगता हैं की हर रिश्ते मैं विराम होता हैं।
  
पर वो गाना क्यों क्योकि मैं देख सकता हूँ सब कुछ होते हुए नही मैं नही  देख सकता तुझको रोते हुए पर हर किसी के साथ ऐसा नही होता जहाँ चाहने वालो का सम्मान होता हैं फिर क्यों अपमानित होना पड़ता हैं ?
जहाँ किसी के दर्द  दिल तडप उठता हैं वहां पर क्यों  निश्चिन्ता आ जाती हैं ? 

No comments:

Post a Comment