आशा यानी उम्मीद होना के शायद सब कुछ अच्छा होगा पर हर बार परिणाम विपरीत आता हैं
कर्म रूपी आशा की सीमा समाप्त नही होती
हर असफलता के बाद फिर सफलता की आशा व्यक्ति हर बार कोशिश करता रहता हें तो उसे सफलता मिलती हैं
क्योकि बार बार प्रयत्न करने से सफलता तो मिलेगी कर्म रूपी आशा मैं व्यक्ति को अपनी मेहनत के मुताबिक परिणाम का पता रहता हैं।
इसके ठीक विपरित व्यहवारिक रूपी आशा यहाँ पर व्यक्ति परस्पर आपस मैं व्यवहारिक परिवारक समाजिक रिश्ते नाते ये सब व्यक्ति के आपसी व्यवहार से चलते हैं
व्यवहार में त्याग कर्तव्य प्यार तब तो व्यवहारिक रूपी आशा में आप सफल हो अगर इन सब में से किसी भी एक में कमी आजाती हें तो आप असफल व्यक्ति कहलायेगे क्योकि फिर आप आशा नही कर सकते की किसी भी एक व्यवहार की कमी आने पर परिणाम क्या आएगा
aashaa me jeevan hai jeevan me aansoo
ReplyDeleteaasoo ki dhaaraa me bhaavuk jal nyaaraaraa hai
nyaaraa hai pyaaraa hai aankho kaa taaraa hai
taaro saa har ek gam gam se hui aankhe nam