Friday, 5 July 2013

शुन्य



शुन्य यानी  अस्तित्वहीन  किसी भी रूप मैं शुन्य का कोई अस्तित्व नही होता सिर्फ खाली  खाली जिसका होने या न होने का कोई मतलब नही ठीक यही बात इंसान पर भी लागू होती हैं कर्मशील व्यक्ति को हर कोई पूछता हैं उसका उदाहरन दिया जाता हैं जो वक्त के साथ चले न की वक्त को गवाए जो वक्त को गवाता हैं वो शून्य की तरह हो जाता हैं पर वही शून्य के मायने बदल जाते हैं जब वही शून्य पीछे लगता हैं तो वह दस बन जाता हैं दस के पीछे लग कर वह सौ और इशी तरह वो किसी भी अंक के पीछे लग कर उसके मूल्य मैं आकस्मिक वर्धि कर देता हैं 

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