Thursday 7 February 2013

हमे चोट मंजूर हैं






आप आप न रहें ये हमने कभी सोचा नही था हकीकत से हम क्यों घबराते हैं आप हमारे हो ही नही इस बात से हम क्यों टकराते हैं 
पत्थरो को हमने पूजा हमने कभी ये क्यों नही सोचा की हमे पत्थर क्या दे सकते हैं न कोई वरदान न कोई प्यार हा वो हमे अभिस्राप जरुर दे सकते हैं क्योकि पत्थरो से सर फोडोगे तो चोट तो हमे ही आयेगी 

प्रिय हमे चोट मंजूर हैं अगर एक पल के लिए आप हमारे बारे मे सोचो 

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