वक्त
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया देखते रह गये हम हर सुबह के बाद शाम सूरज यु ढल गया
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया
सपने बस सपने बन कर रह गये सपनों को साकार करना रह गया
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया
कब बचपन बिता कब जवानी आई कब बुढ़ापा शुरु हो गया राहें भटक गये मंजिले बदल गयी पर हम खड़े सही वक्त की ताक मैं हमारा वक्त निकल गया पल बिता घड़ी बीती कई पहर बित गये हम लड़खडाते कदमो से वक्त को पकड़ने के लिए वक्त के पीछे भाग रहें पर वक्त की तेज रफ्तार ने हमारे लड़खडाते कदमो का साथ छोड़ दिया
वक्त को न थाम सके हम वक्त हाथ से यु निकल गया .
Yaado ke bheetar jhaanko to dar lagataa hai
ReplyDeletechaaho ki raaho par yah dil jag thhagataa hai
kise ham apnaa kahe aur kise kahe paraayaa
Sapno ke chintan me pal pal bhagataa hai