Sunday, 1 April 2012

पड़ाव

पड़ाव 
उम्र के हर पड़ाव मैं ठहराव  क्यों आ जाता हैं उम्र जाने कब हाथ  से इनती निकल गई की पता ही नही चला हर चीज़ अपनी जगह से बदली   नजर आती हैं बस हम अपनी जगह पर खड़े हैं दुनिया हमे बदली नजर आती हैं जिंदगी इतने करीब हो गई पता ही नही चला हमे क्या खोया और क्या पाया यह एहसास तब हुआ जब कुछ बाकी नही रहा इंसान अपने आप को क्यों उलझाये रहता हैं एक पल अपने बारे मैं क्यों नही सोचता. 

2 comments:

  1. Jo nhi mila uska kya gum.
    Jo mila wo tha gum.
    Kuch to mila kam he shi Khusi nahi to Gum he sahi.

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