
हाँ में वो केक्ट्स का पोधा हूँ जो लोगो को दूर से देखने में अच्छा लगता हैं
मेरे उपर कांटे लगे हें जो भी हाथ लगता हें उसे दर्द दे दे ता हूँ पर फिर भी क्यों लोग अपनी बगिया में मुझे रखते हें
दर्द सहते हें पर मूझे पानी देते हें गुड़ाई करते खाद देते हैं अगर उन्हें दर्द बर्दाश्त नही तो मुझे उखाड़ फेको क्यों दर्द सहते हैं और क्यों उसे भी जिंदा रखने की कोशिस करते हैं वो तो पहले ही मर चूका हैं क्योकि उसे कोई प्यार विश्वास नही करता उसे दर्द हैं ये तुम्हें पता नही वह रोता हैं सिसकता हैं उसकी आंहे तुम्हे दिखाई नही देती तुम्हे सिर्फ कांटे दिखाए देते हैं हाँ में केक्ट्स का पोधा हूँ
No comments:
Post a Comment