सहनशीलता
सहनशीलता हर व्यक्ति मे नही होती वह तो सिर्फ देव महान आत्माओ में ही होती हैं जिस तरह भगवान शिव् ने अमृत त्याग कर विष ही पिया यहा तक की उनके चारो तरफ सर्प बिच्छू कई तरह के जहरीले जीव मोजूद रहें उनके चारो तरफ भूत पिशाच उन्हे घेरे रहते पर शंकर भगवान तप कर के उनका ही कल्याण करते यह एक नीलकंठ ही कर सकता हे जो दूसरो के हित के लिए विष पी जाये वह शिव् हे।

इसी तरह प्रक्रति से हमे बहूत कुछ सीखने को मिलता हैं। आखिर प्रक्रति हमेशा हमारा पालन पोषण करती हवा पानी नदिया झरने फल फूल अन्न पहाड छाया वृक्ष हरियाली हजारो जीवो का पालन पोषण करती चिडियों का चहचहाना हमें अच्छा लगता है हरियाली हमारे तनाव् को दूर करती हैं हमारी आँखों को सकून मिलता हैं जब भी तनाव होता हे तो हम नदि सागर या भगवान के पास बेठ जाते हे पर हम प्रक्रति को क्या देते हैं ?
हम प्रक्रति का विनाश करने मे कोई कसर नही छोडते प्रदूषण से प्रकृति का विनाश करते है प्रक्रति अन्त तक देने का ही काम करती हे आखिर हम मानव् हे,
यह जीवन तो सिर्फ एक बार मिलता हैं हमें कठिनाईयो से घबराना नही चाहिये और जो नही घबराते वह ही शिव भक्त कहलाते है वही प्रक्रति प्रेमी कहलाते हैं शिव व् प्रक्रति दोनो देने का काम करते हैं इसलिये मानव् को इन्ही का अनुशरण करना चाहिये .
हमे अपने से प्यार करना चाहिये शिव के सहारे माँ के द्वारे अपने दर्द को त्याग देना चाहिये "